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देवरहा बाबा की दी हुई ईंट सिर पर रख देश भर में घूमें, कारसेवकों की बचाई जान
रायबरेली,07जनवरी(हि.स.)। प्रभु श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का समय नज़दीक आ रहा है और लोगों के जेहन में ऐसे नायकों की यादें भी ताज़ा हो रही हैं। जिनकी बदौलत यह अवसर उन्हें देखेने को मिल रहा है। ऐसे ही इस आंदोलन के एक अहम नायक थे श्रीशचंद्र दीक्षित। जिन्होंने इस आंदोलन में अहम भूमिका निभायी, बल्कि कारसेवकों का नेतृत्व करते हुए कइयों की जान भी बचाई। पुलिस प्रमुख के रूप में उनका अनुभव और कौशल इस आंदोलन की रीढ़ के रूप में काम आया।
रायबरेली में लालगंज के सोतवा खेड़ा गांव के मूल निवासी श्रीशचंद्र दीक्षित का जन्म 3 जनवरी 1926 को हुआ था। वह 1982 से लेकर 1984 तक वे उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे। दीक्षित तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी माने जाते थे। इसके पहले वह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रमुख सुरक्षा अधिकारी भी रह चुके थे।
1984 में सेवानिवृत्त होने के बाद वह राममंदिर आंदोलन से जुड़ गए। राम मंदिर आंदोलन के अग्रदूत अशोक सिंघल के आग्रह पर वह विश्व हिंदू परिषद में आ गए और केंद्रीय उपाध्यक्ष बने। वह श्रीराम जन्मभूमि न्यास के सदस्य भी थे। श्रीशचंद्र दीक्षित को वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल का विश्वासपात्र माना जाता रहा। आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने में उनकी खास भूमिका थी। आंदोलन के दौरान पुलिस प्रशासन को चकमा देने में वे लगातार सफल रहे।
अयोध्या में राममंदिर के शिलान्यास करने वालों में वह शामिल रहे। 1989 में प्रयाग में कुंभ के मौके पर आयोजित धर्मसंसद में मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम की घोषणा की गई। इसके बाद श्रीशचंद्र दीक्षित ने देवरहा बाबा की दी हुई ईंट को सिर पर रखकर देशभर में यात्रा की।
उन्हें अक्टूबर-नवंबर 1990 में कारसेवा कार्यक्रम की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी दी गई। उनके जिम्मे कारसेवकों को सुरक्षित अयोध्या पहुंचाना था। गौरतलब है भारी संख्या में कारसेवक और साधु-संत अयोध्या कूच कर रहे थे और भीड़ अयोध्या पहुंचने लगी थी। प्रशासन ने अयोध्या में कर्फ्यू लगा रखा था। पुलिस ने विवादित स्थल के 1.5 किलोमीटर के दायरे में अभेद्य सुरक्षा कर रखी थी। इसी दौरान 30 अक्टबूर, 1990 को अयोध्या में कारसेवकों की भीड़ पर पुलिस ने कारसेवकों पर गोली चलानी शुरू कर दी, लेकिन इस बीच कारसेवकों की एक टोली का नेतृत्व कर रहे पूर्व पुलिस महानिदेशक श्रीश चंद्र दीक्षित सामने आ गए। उन्हें सामने देख पुलिस वालों ने गोली चलाना बंद कर दिया। जिससे कई निहत्थे कारसेवकों की जान बच गई।
वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र के अनुसार श्रीश चंद्र दीक्षित राम मंदिर आंदोलन के अगली कतार के नेताओं में थे और आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने में उनकी खास भूमिका रही है। राममंदिर आंदोलन के इस नायक को भारतीय जनता पार्टी ने वाराणसी से लोकसभा का टिकट दिया और वाराणसी से पहली बार कमल खिलाने वाले वह सांसद बने। राममंदिर आंदोलन के नायक श्रीश चंद्र दीक्षित का निधन 8 अप्रैल 2014 को हो गया।
हिन्दुस्थान समाचार/रजनीश/राजेश
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