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झांसी, 05 जनवरी(हि. स.)। पूर्व प्रधानमंत्री राजनीति के भीष्म पितामह अटल बिहारी वाजपेई के बाद अगर किसी साफ सुथरी छवि, सरल,सौम्य व सुचिता की छवि रखने वाले नेता का नाम बीजेपी में लिया जाएगा तो वह केवल कल्याण सिंह ही है। उनके जैसा भगवान राम को समर्पित व्यक्तित्व ना भू तो न भविष्यति। तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री रहते हुए मुलायम सिंह 1992 के दूसरे मीरबाकी थे। जिन्होंने जनजन की आस्था के केंद्र मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्मस्थल पर हजारों भक्तों का खून बहाया। उसी का दंश अब उनकी पीढ़ी भुगत रही है।
यह कहना है सपा के संस्थापक मुलायम सिंह के चहेते साथी और वर्तमान में भाजपा के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा का। वह भाजपा के सबसे सशक्त मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह की जयंती पर हिन्दुस्थान समाचार से बात कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कल्याण सिंह राष्ट्र की राजनीति में ऐसा व्यक्तित्व थे जिनकी भरपाई कभी पूरी नहीं हो सकती। वह बहुत सरल और शांत प्रकृति के नेता थे। उनके जैसा सरल स्वभाव का व्यक्ति हमने अपने जीवन में नहीं देखा है। उन्होंने उन्हें लक्ष्मी देवी राजपूत की बेटी के ब्याह में देखा था। जब लक्ष्मी देवी राजपूत की बेटी के ब्याह में वह मुख्यमंत्री रहते हुए आए थे तो बड़ी सादगी और सरलता के साथ बैठे थे। एक सामान्य व्यक्ति की तरह कोई अहंकार उनके चेहरे पर नहीं था। एक और मुख्यमंत्री हमने देखा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को। उनका भी ऐसा ही स्वभाव है। हम तो पूरे जीवन भर जब तक कल्याण सिंह रहे भाजपा के विरोधी ही रहे लेकिन उनके जैसा स्वभाव नहीं देखा। कानपुर के सरवन खेड़ा के उपचुनाव में भी हमने उनकी सादगी को देखा। रनिया कस्बे में मुख्यमंत्री की हैसियत से कल्याण सिंह वहां प्रचार कर रहे थे। हमारे साथ महिला कार्यकत्रियां थी तो समाजवादी पार्टी के पक्ष में नारे लगाए और भारतीय जनता पार्टी मुर्दाबाद के नारे भी लगवाए। तब उन्होंने हंस कर उसे टाल दिया और फिर हमने उन्हें परिचय दिया उनके पैर छुए तो उन्होंने बड़ा सम्मान किया। आज की राजनीति में तो इतनी गिरावट आ गई है कि अगर एक दूसरे के मुंह पर सामने किसी का विरोध कर दें तो हो सकता है विवाद खड़ा हो जाए। संदीप सरलता,सौम्यता, सादगी और सुचित्रा की राजनीति के जीते जागते उदाहरण थे कल्याण सिंह।
उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए यह कहा था कि चाहे ढांचा टूटे या कुछ भी टूटे लेकिन गोली नहीं चलेगी। डीजीपी 10 बार अयोध्या गया था ,कल्याण सिंह के मुख्यमंत्री के समय पर लेकिन उन्होंने कहा कि वहां किसी भी प्रकार का बल प्रयोग नहीं किया जाएगा। इसके लिए उनको सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन की सजा भी सुनाई थी। उन्होंने कहा कि 1992 में मुलायम सिंह दूसरे मीरबाकी बन गए थे। 36 लोग गोली लगने से मारे गए, प्रत्यक्षदर्शी संतों की माने तो सरयू का जल लाल हो गया था हजारों लोग वहां पर बलिदान हुए थे। आज प्रभु श्रीराम का मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। प्रभु श्रीराम उसमें विराजमान होंगे। 22 जनवरी को 500 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद हम अपनी आंखों से इस सौभाग्यशाली क्षणों का आनन्द ले सकेंगे। इस सबके पीछे निश्चित ही प्रभु श्रीराम को समर्पित उनके उस मुख्यमंत्री भक्त का भी कहीं न कहीं विशिष्ट योगदान है। उनके जैसा भगवान राम को समर्पित व्यक्तित्व न भू तो न भविष्यति।
हिन्दुस्थान समाचार/महेश/राजेश
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