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भदोही, 03 जनवरी (हि.स)। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में 22 जनवरी को रामलला विराजमान होंगे। उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के रमेश सिंह को इसी क्षण की प्रतीक्षा थी। नवनिर्मित मंदिर में रामलला के विराजमान होने की तारीख तय होने के बाद से ही रमेश कुमार सिंह भाव विह्वल हैं। पांच वर्ष पूर्व अयोध्या में रामलाला के दर्शन के बाद उन्होंने यह संकल्प लिया था कि जब तक प्रभु श्रीराम मंदिर में नहीं विराजते तब तक वे जूते, चप्पल अथवा खड़ाऊं नहीं पहनेंगे।
रमेश कुमार सिंह का सपना पांच साल बाद अब साकार होने जा रहा है। रमेश सिंह भदोही की उसी मिट्टी से जुड़े हैं जहां मां सीता ने वाल्मीकि आश्रम में अपने वनवास का काल व्यतीत किया। वह पवित्र धरती सीता समाहित स्थल यानी सीतामढ़ी यहीं है। रमेश सिंह सीतामढ़ी से करीब के गांव गोलखरा के रहनेवाले हैं। साल 2018 में रमेश कुमार सिंह अपने परिवार के साथ प्रयागराज से ट्रेन से अयोध्या गए थे। वहां प्रभु श्रीराम के दर्शन के बाद उन्हें बड़ी ग्लानि हुई। क्योंकि भगवान मंदिर में विराजमान होने के बजाय अस्थाई टेंट में विराजमान रहे। इसके बाद उन्होंने संकल्प लिया कि जब तक राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता तब तक वह जूता -चप्पल नहीं पहनेंगे।
रमेश सिंह बताते हैं कि सरयू नदी में स्नान कर जब वह प्रभु राम के दर्शन के लिए पहुंचे तो भगवान को टेंट में विराजते देख उनकी आंखें भर आईं। आंखों से पीड़ा भरे आंसू छलक पड़े। उन्होंने अपने पांव में पहने हुए चप्पल को वहीं फेंक दिया और संकल्प लिया कि जब तक प्रभु राम का भव्य मंदिर नहीं बन जाएगा, भगवान गर्भगृह में स्थापित नहीं हो जाते, तब तक नंगे पांव रहेंगे। कहीं यात्रा करनी हो या किसी कार्यक्रम में जाना हो वह नंगे पांव ही जाते हैं। अब उनका कहना है कि वह नंगे पांव भदोही से करीब 225 किलोमीटर दूर स्थित अयोध्या धाम जाकर पतित पावनी मां सरयू में स्नान के बाद भगवान राम के दर्शन करेंगे और वहीं अपना संकल्प तोड़ेंगे। वह आगामी 12 जनवरी को पैदल अयोध्या के लिए निकलेंगे और जब तक दर्शन नहीं मिल जाएगा, लौटेंगे नहीं। वह राममंदिर बनने से बेहद प्रसन्न हैं।
सुप्रीम कोर्ट से रामजन्मभूमि के पक्ष में फैसला आने के बाद वे बेहद खुश हुए, लेकिन उस साल 4-5 माह तक निर्माण कार्य शुरू न होने पर दुःखी भी थे। बाद में 2020 में लॉक डाउन के समय ही पंचकोशी यात्रा के दौरान अयोध्या गए। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद उनका संकल्प पूरा होने को है। इसलिए वे इतने उत्साहित हैं कि पैदल चल कर रामलला का दर्शन-पूजन करेंगे। वह 28 जुलाई 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिल चुके हैं। रमेश नियमित चार-पांच घंटे पूजा-पाठ करते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/प्रभुनाथ/पवन
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