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मुंबई,05 जनवरी (हि. स.)।पालघर जिले दहानू में 5 साल से कंटेनर में चल रहे सरकारी स्कूल बनाने को लेकर पहले तो सरकार के अधिकारियों को जमीन नही मिल पा रही थी। अब मिली भी तो स्कूल बनने वाली जमीन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
स्कूल के लिए 1 करोड़ रुपये का फंड मंजूर किया गया है। हालाँकि, नए स्कूल भवन के लिए नियोजित स्थल गाँव के बाहर और तटबंध के किनारे पर है, बच्चों के माता-पिता और ग्रामीणों को डर है कि इमारत मानसून के दौरान खतरनाक साबित होगी। इसलिए स्कूल भवन निर्माण के लिए सुरक्षित स्थान मुहैया कराने की मांग की जा रही है।
दरअसल स्कूल के लिए जिस जमीन को चुना गया है उसको लेकर ग्रामीणों का दावा है कि ये जमीन खतरनाक इलाके में है और यहां बच्चों की सुरक्षा को लेकर बड़ा खतरा हो सकता है। बता दें कि दहानू के सरावली -मोरपाड़ा इलाके में करीब 5 वर्ष पहले रेलवे की (डीएफसीसीएल) परियोजना को पूरा करने के लिए जिला परिषद के एक सरकारी स्कूल को तोड़ा गया था लेकिन स्कूल का निर्माण आज तक नही हो सका। जिससे इस स्कूल में 1 से 4 तक पढ़ने वाले नौनिहाल भीषण गर्मी में भी कंटेनरो में भविष्य गढ़ने को मजबूर है। कंटेनरो में चल रहे स्कूल में आने वाले बच्चों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। बरसात के दिनों में कंटेनर लीक हो जाते हैं और गर्मियों में बहुत गर्मी होती है, इसलिए छात्रों की संख्या कम हो गई है।इससे गरीब छात्रों की पढ़ाई में बड़ी मुश्किलें पैदा हो गई हैं।
ग्रामीणों ने जब कई बार शासन – प्रशासन और रेलवे से स्कूल को बनाने की मांग की और सरकार और अधिकारियों के शिक्षा को लेकर सुस्त रवैए का विरोध किया तो कही जाकर सरकार और प्रशासन की कुंभकर्णी नींद टूटी और स्कूल बनाने के लिए एक जगह को चिन्हित कर भूमिपूजन किया गया। लेकिन गांव के लोग यह कहर अधिग्रहित की गई जमीन पर स्कूल बनाने का विरोध कर रहे है, कि यह जमीन नदी एक तटबंध के किनारे है और बरसात में यहां भूस्खलन, बाढ़ और जल भराव जैसी स्थितत बन जाती है। भूस्खलन की स्थिति में स्कूल की इमारत को नुकसान पहुंचने का भी डर है।
गौरतलब है, कि पालघर जिले में बरसात के चलते लोगों की मुसीबत बढ़ जाती है। जगह-जगह नदी और नाले पूरे उफान पर रहते है। दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्रों में स्कूल के बच्चों को स्कूल जाने में काफी दिक्कत होती है। कई जगह नालों पर पुल के नहीं होने की वजह से बच्चों को जान जोखिम में डाल कर नाला पार करना पड़ता है।या फिर बच्चों को नाला में पानी के कम होने के लिए इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में नदी के तटबंध के किनारे स्कूल बनाने के सरकारी फैसले को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। लोग सवाल पूंछ रहे है, कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर क्या सरकार और अधिकारी तनिक भी गंभीर नही है? सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक और ग्रामीण सखाराम गुजर ने कहा कि स्कूल के नए भवन जिस जगह पर बनाने की योजना है। वह तटबंध के किनारे पर है और मानसून के दौरान इस स्थान पर भारी बाढ़ आती है। पिछले कुछ वर्षों में बाढ़ के कारण क्षेत्र में भूस्खलन भी हुआ है। स्कूल में छोटे-छोटे छात्र पढ़ेंगे। इसलिए भविष्य में उनकी सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा होगा। बरसात के दौरान भूस्खलन की स्थिति में स्कूल की इमारत पर खर्च होने वाला भारी भरकम धन बर्बाद होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए ग्रामीणों की मांग है कि नया स्कूल गांव के रिहायशी इलाके और सुरक्षित स्थान पर बनाया जाए।
दहानू की शिक्षा अधिकारी माधवी तांडेल ने बताया कि स्कूल के लिए जगह की अनुपलब्धता के कारण पिछले कुछ वर्षों से नए भवन के निर्माण में देरी हो रही थी। इस बीच, एक जमीन मालिक द्वारा जमीन उपलब्ध कराने के बाद यहां एक नई इमारत बनाने की योजना बनाई गई है।
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