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रायपुर । छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में राज्य संचालित राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) के परसा ईस्ट कांता बसन (पीईकेबी) खदान पर मंडरा रही अनिश्चितताएं समाप्त हो गईं है। हाल में चल रहे नवरात्रि के त्यौहार के बिच राजस्थान और छत्तीसगढ़ के लिए यह एक बड़ी खबर आयी है।
“सिविल अपील और विशेष अनुमति याचिका का निस्तारण हस्ताक्षरित आदेश के अनुसार किया जाता है। लंबित आवेदन, यदि कोई हो, निस्तारित किया जाता है।” सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की बेंच द्वारा अक्टूबर 16, 2023 को दिए गए फैसले में बताया।
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा दी गई अनुमति में हस्तक्षेप करने से से इनकार कर दिया, जिससे पीईकेबी खदान के दूसरे चरण में खनन जारी रखने पर कोई विधिक संकट नहीं है।
सुदीप श्रीवास्तव द्वारा वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर मामले में, इस नतीजे से राजस्थान की बिजली उत्पादन परियोजनाओं को सस्ते कोयले की आपूर्ति आसान हो सकेगी। 2007 में, कोयला मंत्रालय ने आरआरवीयूएनएल को पीईकेबी खदान आवंटित कि था। हालाँकि पांच साल बाद, 2012 में, उन्होंने सक्षम राज्य और केंद्र सरकार की संस्थाओ द्वारा दी गई नियामक अनुमतियों को चुनौती दी थी। कानूनी विवाद ने आरआरवीयूएनएल के 4340 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता को चालू करने और नेटवर्क को सक्षम करने के लिए 40,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है जो की इस खदान से निकलने वाले कोयले पर निर्भर था।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा पारित निर्देशों के अनुपालन में भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद द्वारा संपूर्ण हसदेव अरंड वन क्षेत्र में जैव विविधता अध्ययन आयोजित किया गया था। परिषद की जुलाई 2021 की जैव विविधता आकलन रिपोर्ट और दिसंबर 2021 की वन सलाहकार समिति की सिफारिशों के आधार पर, पर्यावरण, मंत्रालय ने 2 फरवरी, 2022 को पीईकेबी कोयला खदान के लिए चरण- II के खनन कार्य को मंजूरी दे दी थी। पर्यावरण मंत्रालय की उक्त मंजूरी के अनुसार, छत्तीसगढ़ सरकार ने भी 25 मार्च, 2022 को पीईकेबी खदान में कोयला खनन की अनुमति दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट, आरआरवीयूएनएल के वकील के तर्क से सहमत हुए कि चूंकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के परिणामस्वरूप एमओईएफ एंड सीसी और छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा उपरोक्त आदेश जारी किए गए हैं, इसलिए कार्यवाही में जो कारण बताया गया था वह वाजिब नहीं है।पीईकेबी खदान को भारत की स
बसे अच्छी संचालित खदानों में से एक माना जाता है। संचालन, पर्यावरण, सुरक्षा, पुनर्वास और पुनर्वास में उत्कृष्टता के लिए इसे 2019 से कोयला मंत्रालय द्वारा उच्चतम पांच सितारा दर्जा दिया गया है। आरआरवीयूएनएल ने एक मॉडल खदान विकसित की है और पीईकेबी खदान के आसपास शिक्षा और सशक्तिकरण, कौशल विकास, स्वास्थ्य देखभाल, महिला सहकारी और ग्रामीण बुनियादी ढांचे के लिए समुदाय केंद्रित पहल में भारी निवेश किया है। पीईकेबी खदान पर करि 5000 परिवार को पिछड़े हुए सुरगुजा जिले में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आजीविका के साथ साथ राज्य और केंद्र सरकारों को करोड़ो रूपए की रॉयल्टी और अन्य कर मिल रहे ।