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बीकानेर, 3 जनवरी (हि.स.)। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर के पादप रोग विज्ञान विभाग द्वारा मशरूम उत्पादन तकनीक पर सात दिवसीय प्रशिक्षण बुधवार से प्रारंभ हुआ। प्रशिक्षण के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे देवी सिंह भाटी ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय में होने वाले अनुसंधान कार्यों के नतीजे आम किसान तक पहुंचने चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को खेतों एवं सड़क किनारे उगने वाली मशरूम के व्यावसायिक उत्पादन की संभावनाओं पर भी कार्य करना चाहिए।
कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि मशरूम उत्पादन द्वितीय कृषि का एक हिस्सा है जिसे अपनाकर युवा एवं महिलाएं कम स्थान में भी अधिक लाभ कमा सकते हैं। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉ.आई.पी. सिंह निदेशक कृषि व्यवसाय प्रबंधन संस्थान ने बताया कि मशरूम उत्पादन में भारत का विश्व में पांचवा स्थान है। यहां लगभग दो लाख टन मशरूम प्रतिवर्ष उगाई जाती है। एक वर्ग मीटर क्षेत्र में प्रतिवर्ष औसतन 30 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन लिया जा सकता है। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. पी. एस. शेखावत ने अपने स्वागत उत्पादन में कहा कि मशरूम की लगभग 2000 प्रजातियां हैं जिनमें से चार-पांच प्रजातियों को ही व्यवसायिक स्तर पर उगाया जाता है। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. दाताराम ने कहा कि बीकानेर संभाग में ढिंगरी, बटन तथा मिल्की मशरूम का उत्पादन लिया जा सकता है। विश्वविद्यालय की मशरूम इकाई किसानों की मांग के अनुसार स्पान उपलब्ध करवा रही है। प्रशिक्षण में 59 प्रशिक्षणार्थी भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन आनंद चौधरी ने किया तथा निदेशक मानव संसाधन विकास निदेशालय डॉ. ए.के.शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप
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