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– स्वास्थ्य विभाग की 50 टीमों ने साल भर में साढ़े चार लाख से ज्यादा घरों के 37 लाख कंटेनर में की लार्वा जांच
भोपाल, 3 जनवरी (हि.स.)। डेंगू की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरंतर लार्वा सर्वे एवं जागरूकता गतिविधियों के कारण साल 2023 में डेंगू केस का पॉजिटिविटी रेट 0.06 रहा। डेंगू की जांच के लिए साल 2023 में 13973 टेस्ट किए गए, जिनमें से 858 पॉजिटिव केस पाए गए, जबकि साल 2022 में 6955 सैंपल लिए गए थे, जिसमें से 675 केस डेंगू पॉजिटिव पाए गए थे। साल 2022 की तुलना में 2023 में पॉजिटिव केस ज्यादा मिले, किंतु पॉजिटिविटी रेट कम रहा। डेंगू के ये सभी मरीज उपचार के बाद पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं। यह जानकारी बुधवार को जनसम्पर्क अधिकारी अरुण शर्मा ने दी।
चार लाख से अधिक घरों में जाकर ढूंढा लार्वा
उन्होंने बताया कि विभाग की 50 टीमों द्वारा जनवरी से दिसंबर 2023 तक 461433 घरों में सर्वे किया गया, जिनमें से 25133 घरों में लार्वा पाया गया। इस दौरान टीम द्वारा 37 लाख से अधिक कंटेनर का सर्वे किया गया, इसमें से 32 हजार 799 में डेंगू का लार्वा पाया गया। जिसे टेमोफोस एवं ऑयल डालकर नष्ट किया गया। साथ ही प्रत्येक डेंगू केस के घर पर केस बेस एक्टिविटी कराई गई। विभाग द्वारा घर घर जाकर लार्वा सर्वे के साथ जनजागरुकता अभियान, स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया।
जागरूकता के साथ चालानी कार्यवाही कर दी समझाइश
विभाग द्वारा चिकित्सकों का प्रशिक्षण, सार्वजनिक स्थानों पर कैनोपी डिमॉन्सट्रेशन, आशा कार्यकर्ताओं को ई मोड्यूल प्रशिक्षण, विद्यालयों में जिले में सांप सीढ़ी जैसे विभिन्न रोचक खेलों, बस्ती क्षेत्रों में डेंगू रथ,बैनर, पैंफलेट्स, माइकिंग आदि के माध्यम से जानकारी दी गई। साथ ही डेंगू नियंत्रण माह, डेंगू दिवस का आयोजन हस्ताक्षर अभियान, रैली, नुकड़ नाटक आदि के माध्यम से जनमानस को जागरूक किया। विभिन्न तालाबों में गैंबूशिया मछली का संचय किया गया। इन कार्यक्रमों में एंबेड परियोजना फैमिली हेल्थ इंडिया द्वारा विशेष सहयोग दिया गया। सभी टीमों को जोन वाइस बांटकर विभिन जोन में कम्युनिटी वॉलंटियर का सहयोग लिया गया। नगर निगम के सहयोग से बड़े पैमाने पर स्पॉट फाइन की कार्यवाही भी की गई। नगर निगम द्वारा निर्माणाधीन भवन में बड़े स्तर पर लार्वा मिलने पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया गया। जिले में 100 से अधिक स्थानों पर स्पॉट फाइन लगाकर लार्वा रोकथाम के लिए सचेत किया गया। इसके साथ ही नगर निगम द्वारा फॉगिंग कार्य भी लगातार करवाया गया।
अंतर्विभागीय सहयोग ने निभाई अहम भूमिका
डेंगू नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ अन्य विभागों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कलेक्टर द्वारा समय- समय पर डेंगू प्रकरणों एवं संवेदनशील क्षेत्रों की जानकारी लेकर सभी विभागों की समन्वय बैठक कर प्रभावी रणनीति के तहत कार्य के निर्देश दिए। नगर निगम आयुक्त के निर्देश पर डेंगू के संवेदनशील क्षेत्रों में अभियान चलाकर फॉगिन, स्पॉट फाइन एवं जागरूकता गतिविधियां करवाई गई। शिक्षा विभाग द्वारा स्कूली बच्चों को डेंगू से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी की गई। महिला एवं बाल विकास विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, गैर शासकीय संगठनों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही धर्म गुरुओं के सहयोग से स्वच्छता की अपील भी प्रसारित करवाई गई।
एडीज मच्छर है डेंगू का संवाहक
यह बीमारी एडीज मच्छर के काटने से फैलती है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी रोगी को काटता है, तो खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है। मच्छर के शरीर में डेंगू वायरस का कुछ और दिनों तक विकास होता है। जब डेंगू वायरस युक्त एडीज मच्छर किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो वह डेंगू वायरस को उस व्यक्ति के शरीर में पहुंचा देता है। इस प्रकार वह व्यक्ति डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाता है। डेंगू की पहचान सही समय पर न किए जाने पर घातक रूप ले सकती है । डेंगू बुखार तीन प्रकार के होते हैं। साधारण डेंगू बुखार , डेंगू हेमरेजिक बुखार, डेंगू शॉक सिंड्रोम । यदि डेंगू हेमरेजिक बुखार या डेंगू शॉक सिंड्रोम का तुरंत उपचार नहीं किया जाता है यह जानलेवा हो सकता है। डेंगू में तेज बुखार आना, सर दर्द, आंखो की पुतलियों में दर्द, शरीर में लाल चकत्ते निकालना आदि प्रमुख लक्षण है। डेंगू की जांच भोपाल जेपी अस्पताल, एम्स, बीएमएचआरसी, सिविल डिस्पेंसरी बैरागढ़ एवं जीएमसी में होती है।
मच्छर के पनपने से पहले ही नष्ट करना जरूरी
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि मच्छरों के पनपने के स्रोत को नष्ट करना बेहद जरूरी है। ठंड के मौसम में डेंगू के केस कम पाए जाते हैं, लेकिन साफ सफाई को स्थाई आदत बनाना जरूरी है। डेंगू बीमारी एडीज मच्छर के काटने से होती है। इस मच्छर का लार्वा साफ पानी में पनपता है , जिसे आसानी से पहचान कर नष्ट किया जा सकता है। नगर निगम एवं स्वास्थ विभाग द्वारा लार्वा विनिष्टिकरण की कार्यवाही लगातार की जाती है। लोगों को भी चाहिए कि वह ऐसे बर्तन, टायर, गमले या अन्य स्रोत जिनमें साफ पानी इकट्ठा हो रहा हो, उन्हें तुरंत साफ करें। सफाई की यह प्रक्रिया नियमित रूप से रखी जाने बेहद आवश्यक है। यह मच्छर दिन के समय काटता है। इसलिए दिन के समय में सोते समय भी मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए।
एक मच्छर कई लोगों को बीमार कर सकता है
डेंगू बीमारी के लिए जवाबदेह मादा एडीज मच्छर अपने जीवन काल में लगभग 250- 300 इनफेक्टेड बच्चे पैदा कर सकती है। जिनमें से हर बच्चा भी 300 इनफेक्टेड मच्छर पैदा करता है। इस प्रकार एक मच्छर के इनफेक्टेड होने पर कई गुना बड़ी संख्या में संक्रमित मच्छर पैदा हो जाते हैं। यह मच्छर एक बड़ी जनसंख्या को संक्रमित और बीमार कर सकते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश
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